पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद को वैश्विक मंच पर बेनकाब करने के लिए सांसदों विदेश भेजेगी सरकार ; शशि थरूर के नाम पर विवाद


केंद्र सरकार ने ऑपरेशन सिंदूर की सफलता और पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद को वैश्विक मंच पर बेनकाब करने के लिए सात सर्वदलीय सांसदों के प्रतिनिधिमंडल (डेलीगेशन) तैयार किए हैं, जो 23 मई से 10 दिनों के लिए अमेरिका, ब्रिटेन, यूएई, जापान, दक्षिण अफ्रीका, कतर और अन्य देशों का दौरा करेंगे। इनमें बीजेपी, कांग्रेस, टीएमसी, जदयू, डीएमके, एनसीपी (एसपी), बीजद, शिवसेना और AIMIM जैसे दलों के लगभग 40 सांसद शामिल हैं। प्रमुख नामों में रविशंकर प्रसाद, संजय झा, कानीमोझी, सुप्रिया सुप्रिया सुले, बैजयंत पांडा, असदुद्दीन ओवैसी और शशि थरूर शामिल हैं। प्रत्येक डेलीगेशन में 5-6 सांसद और एक वरिष्ठ राजनयिक होंगे, जो पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर के बारे में भारत का पक्ष रखेंगे। संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू इस अभियान का समन्वय कर रहे हैं।

शशि थरूर के नाम पर विवाद

शशि थरूर, जो विदेश मामलों की संसदीय समिति के अध्यक्ष हैं और संयुक्त राष्ट्र में कार्य अनुभव रखते हैं, को सरकार ने एक डेलीगेशन का नेतृत्व करने के लिए प्रस्तावित किया, खासकर अमेरिका के लिए। हालांकि, कांग्रेस ने सरकार को चार सांसदों—आनंद शर्मा, गौरव गोगोई, और दो अन्य—के नाम दिए, जिसमें थरूर का नाम शामिल नहीं था। इसका कारण थरूर के हालिया बयान हैं, जिनमें उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर और पीएम मोदी की नीतियों की प्रशंसा की, जो कांग्रेस की पार्टी लाइन से अलग थे। कांग्रेस सूत्रों के अनुसार, थरूर ने भारत-पाक तनाव पर "लक्ष्मण रेखा" पार की, जिससे पार्टी नेतृत्व और कुछ नेता नाराज हैं। 

कुछ कांग्रेस नेताओं का मानना है कि थरूर की अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञता को देखते हुए उन्हें शामिल न करना गलत संदेश दे सकता है, लेकिन पार्टी ने अभी तक उनके नाम पर अंतिम फैसला नहीं लिया है। इस बीच, थरूर ने कहा है कि राष्ट्रीय हित के लिए वह हमेशा उपलब्ध रहेंगे। इस स्थिति ने सरकार और कांग्रेस के बीच तनाव पैदा कर दिया है, और थरूर को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है।

यह राजनयिक अभियान भारत की आतंकवाद विरोधी नीति और ऑपरेशन सिंदूर की सफलता को वैश्विक स्तर पर स्थापित करने का प्रयास है। थरूर के नाम पर विवाद कांग्रेस के आंतरिक मतभेदों और उनकी हालिया बयानबाजी को दर्शाता है, लेकिन इस मिशन में उनकी भागीदारी पर अंतिम फैसला जल्द होने की उम्मीद है। अधिक जानकारी के लिए आधिकारिक सरकारी बयान या विश्वसनीय समाचार स्रोतों की जांच करें।