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बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड एक बार फिर विवादों में है। 30 मई 2025 को भारत सरकार के कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय (MCA) ने पतंजलि को एक नोटिस जारी किया, जिसमें कंपनी से कुछ संदिग्ध और असामान्य लेन-देन के बारे में जवाब मांगा गया है। यह नोटिस देश की आर्थिक खुफिया एजेंसियों द्वारा पतंजलि के कुछ वित्तीय लेन-देन को "शक के घेरे" में बताए जाने के बाद भेजा गया है।
संदिग्ध लेन-देन :
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने पतंजलि के कुछ वित्तीय लेन-देन को "असामान्य और संदिग्ध" माना है। इन लेन-देन की सटीक राशि का खुलासा नहीं हुआ है, क्योंकि जांच अभी प्रारंभिक चरण में है। सरकार ने पतंजलि से पूछा है कि क्या इन लेन-देन में फंड डायवर्जन (धन का गलत उपयोग) या कॉरपोरेट गवर्नेंस नियमों का उल्लंघन हुआ है।
पतंजलि को इस नोटिस का जवाब देने के लिए दो महीने (लगभग 31 जुलाई 2025 तक) का समय दिया गया है। कंपनी को अपने वित्तीय लेन-देन की पारदर्शिता और नियमों के पालन के बारे में स्पष्टीकरण देना होगा।
पतंजलि के पिछले विवाद
यह पहली बार नहीं है जब पतंजलि विवादों में घिरी है। कंपनी पहले भी कई कारणों से सुर्खियों में रही है, विशेष रूप से भ्रामक विज्ञापनों और गलत दावों के लिए।
भ्रामक विज्ञापन मामला: कोविड-19 महामारी के दौरान पतंजलि ने अपनी दवा कोरोनिल को कोरोना वायरस के इलाज के रूप में प्रचारित किया, जिसे इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने भ्रामक बताया। IMA ने रामदेव को मानहानि नोटिस भेजकर 1,000 करोड़ रुपये के हर्जाने की मांग की थी।
सुप्रीम कोर्ट ने 2024 में पतंजलि और आचार्य बालकृष्ण को भ्रामक विज्ञापनों के लिए अवमानना नोटिस जारी किया। कोर्ट ने कंपनी के विज्ञापनों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया और रामदेव व बालकृष्ण को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश दिया।
माफीनामा : पतंजलि ने 67 अखबारों में माफीनामा छपवाया, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे अपर्याप्त और दिखावा बताकर खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि पतंजलि ने एलोपैथी को बदनाम करने की कोशिश की और बिना सबूत के अपनी दवाओं को बेहतर बताया।
उत्पादों पर प्रतिबंध : उत्तराखंड सरकार के औषधि नियंत्रण विभाग ने अप्रैल 2024 में पतंजलि के 14 उत्पादों (जैसे श्वासारि गोल्ड, लिपिडोम, बीपी ग्रिट, मधुग्रिट) पर भ्रामक दावों के कारण बिक्री प्रतिबंध लगाया।
पतंजलि आयुर्वेद को केंद्र सरकार का नोटिस वित्तीय लेन-देन में संदिग्ध गतिविधियों के आरोपों के कारण मिला है, और कंपनी को दो महीने में जवाब देना होगा। यह मामला पतंजलि के लिए नया संकट ला सकता है, खासकर तब जब कंपनी पहले से ही भ्रामक विज्ञापनों और उत्पाद प्रतिबंधों के कारण सुप्रीम कोर्ट और अन्य नियामक संस्थाओं के दबाव में है। यह विवाद न केवल पतंजलि की विश्वसनीयता को प्रभावित कर सकता है, बल्कि इसकी लिस्टेड सब्सिडियरी पतंजलि फूड्स लिमिटेड के शेयरों और बाजार स्थिति पर भी असर डाल सकता है।
पतंजलि ने अभी तक इस नोटिस पर सार्वजनिक रूप से कोई बयान जारी नहीं किया है। हालांकि, कंपनी ने पहले भ्रामक विज्ञापन मामले में कहा था कि उनके विज्ञापनों में केवल "सामान्य बयान" थे और आपत्तिजनक वाक्य अनजाने में शामिल हुए। रामदेव और बालकृष्ण ने सुप्रीम कोर्ट में माफी मांगते हुए कहा कि उनका कोर्ट की अवमानना का इरादा नहीं था।