सुप्रीम कोर्ट ने एससी आरक्षण में सब कैटेगरी को दी मंजूरी, राज्य सरकार संख्या के आधार पर कर सकेगी जातियों की हिस्सेदारी


सुप्रीम कोर्ट ने एसी रिजर्वेशन में कोटा को मंजूरी देकर अपना ही 19 साल पुराना फ़ैसला पलटा है. कोर्ट ने कहा कि, राज्य सरकार अब अनुसूचित जाति के रिजर्वेशन में जातियों के अलग से कोटा दे सकेगी.

कोर्ट ने फ़ैसला सुनाते हुए ये हिदायत भी दी है कि राज्य सरकार अपनी मन मर्जी से इसके लिए फ़ैसला नहीं कर सकती है. उन्हें जातियों की हिस्सेदारी उनकी जनसँख्या के पुख्ता डेटा के आधार पर तय करनी होगी.

साल 2004 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अनुसूचित जाति के लोग सदियों से भेदभाव झेल रहे है. उन्हें एक समान माना जाना चाहिए. उनमें किसी भी तरह का बंटवारा ठीक नहीं होगा.

सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की संवैधानिक पीठ ने अनुसूचित जाति में जातियों की हिस्सेदारी तय करने के लिए साब केटेगरी को मंजूरी दी है. 7 जजों की बेंच में जस्टिस बेला एम त्रिवेदी ने इस फ़ैसले से असहमति जतायी है. उन्होंने कहा कि आंध्रप्रदेश और पंजाब में स्टेटवाइज रिजर्वेशन को हाई कोर्ट ने असंवैधानिक माना है.

सीजेआई चंद्रचूड ने कहा कि सब क्लासिफिकेशन अनुच्छेद 14 का उल्लंघन नहीं करता है क्योंकि सब कैटेगरी सूची से बाहर नहीं है.

वही जस्टिस बीआर गंवई ने कहा कि पिछड़ो को प्राथमिकता देना राज्य का कर्तव्य है, एसटी - एससी आरक्षण का कुछ ही लोग फायदा ले रहे है.