पूर्व विदेश मंत्री और कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने कहा कि कश्मीर में धारा 370 एक समस्या थी, इसके हटने से खुशहाली आई ; यह दुभाग्यपूर्ण है कि कुछ लोग धारा 370 की बहाली करवाना चाहते है


पूर्व विदेश मंत्री और कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने हाल ही में इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में एक थिंक टैंक और शिक्षाविदों को संबोधित करते हुए जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के फैसले की प्रशंसा की। सलमान खुर्शीद का बयान अनुच्छेद 370 हटाने के केंद्र सरकार के फैसले का समर्थन करने वाला बयान है, जो कांग्रेस के पारंपरिक रुख से अलग है। 

खुर्शीद ने कहा कि कश्मीर में लंबे समय से एक बड़ी समस्या थी, और अनुच्छेद 370 के कारण ऐसा लगता था कि जम्मू-कश्मीर देश के बाकी हिस्सों से अलग है। इस अनुच्छेद ने कश्मीर को एक तरह से अलगाव की भावना दी थी।  जो कश्मीर को भारत के अन्य हिस्सों से अलग दिखाने का कारण बन रही थी। खुर्शीद ने अनुच्छेद 370 हटाए जाने (5 अगस्त 2019) के बाद जम्मू-कश्मीर में हुए बदलावों की सराहना की। उन्होंने कहा कि इसके बाद क्षेत्र में "खुशहाली" आई है।

उन्होंने उल्लेख किया कि 2024 में हुए विधानसभा चुनावों में 65% मतदान हुआ, जो एक लोकतांत्रिक प्रक्रिया की सफलता को दर्शाता है। इसके परिणामस्वरूप, जम्मू-कश्मीर में अब एक चुनी हुई सरकार है, जो स्थानीय लोगों की इच्छाओं का प्रतिनिधित्व करती है। उन्होंने यह भी कहा कि अनुच्छेद 370 हटने से कश्मीर में आर्थिक गतिविधियां बढ़ी हैं और सामान्य स्थिति में सुधार हुआ है।

खुर्शीद ने जोर देकर कहा कि अनुच्छेद 370 के हटने से यह स्पष्ट हो गया कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है, और अब इसे लेकर कोई भ्रम नहीं है। यह बयान भारत की संप्रभुता और एकता पर उनके रुख को दर्शाता है। 

सलमान खुर्शीद ने यह बयान इंडोनेशिया के जकार्ता में एक थिंक टैंक और शिक्षाविदों के साथ बातचीत के दौरान दिया। यह बातचीत अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की नीतियों और कश्मीर के मुद्दे पर केंद्रित थी। 

अनुच्छेद 370 क्या था :

यह भारतीय संविधान का एक प्रावधान था, जो जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा प्रदान करता था। इसके तहत राज्य को अपना संविधान, ध्वज, और रक्षा, विदेशी मामले, संचार को छोड़कर अन्य मामलों में स्वायत्तता प्राप्त थी।

5 अगस्त 2019 को केंद्र की मोदी सरकार ने राष्ट्रपति के आदेश के माध्यम से अनुच्छेद 370 के अधिकांश प्रावधानों को निरस्त कर दिया और जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों (जम्मू-कश्मीर और लद्दाख) में विभाजित कर दिया। 11 दिसंबर 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को संवैधानिक रूप से वैध ठहराया, यह कहते हुए कि अनुच्छेद 370 एक अस्थायी प्रावधान था और जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है।