वाजपेयी से किसने कहा कि मुझे नरेन्द्र भाई मोदी गुजरात से बाहर चाहिए


साल 1995 में भाजपा नेता शंकर सिंह वाघेला बीजेपी के 55 बागी विधायको को खजुराहो के एक रिजोर्ट में लेकर चले गए. पार्टी के आदेश पर उस वक्त अटल बिहारी वाजपेयी को वाघेला को मनाने के लिए भेजा. शंकर सिंह वाघेला ने वाजपेयी के सामने बस एक ही शर्त रखी थी कि "मुझे नरेन्द्र भाई गुजरात से बाहर चाहिए."

दरअसल 1995 के  गुजरात विधानसभा चुनाव में भाजपा को बहुमत मिला. भाजपा ने 121 सीटो पर जीत हासिल की थी. उस वक्त पार्टी का नेतृत्व केशु भाई और शंकर सिंह वाघेला दोनों मिलकर कर रहे थे लेकिन जब मुख्यमंत्री की बात आई तो वाघेला को दरकिनार कर केशुभाई पटेल को गुजरात का मुख्यमंत्री बना दिया था. वही कभी वाघेला के ख़ास कहे जाने वाले नरेन्द्र मोदी उस वक्त मुख्यमंत्री केशु भाई पटेल के सलाहकार बनाए गए. वाघेला ने अपना गुस्सा मोदी पर उतारा क्योंकि वाघेला का मानना था कि नरेन्द्र मोदी की वजह से ही उन्हें मुख्यमंत्री का पद नही मिल पाया था.

वाघेला की नाराजगी की गाज केशु भाई और मोदी दोनों पर पड़ी. भाजपा ने वाघेला के दबाव में केशु भाई को मुख्यमंत्री पद से हटा दिया और सुरेश मेहता को नया मुख्यमंत्री को बनाया. साथ ही पार्टी अध्यक्ष आडवानी को उसी साल नवम्बर में नरेंद्र मोदी को गुजरात से बाहर दिल्ली भेजना पड़ा था. मोदी दिल्ली तो चले गए लेकिन उनसे गुजरात नहीं छूट पाया. कहते है मोदी अपने ख़ास सहयोगी और मित्र अमित शाह के माध्यम से गुजरात पर नजरें रखें हुए थे.

बाद में वाघेला ने भाजपा से अलग होकर अपनी नई पार्टी बनाई और कांग्रेस के साथ गठ्बन्धन की सरकार में वाघेला मुख्यमंत्री बने. वाघेला के पार्टी छोड़ने के बाद नरेंद्र मोदी की गुजरात में वापिस हुई.  साल 1998 के चुनाव में भाजपा ने केशु भाई के नेतृत्व में जीत हासिल की और केशु भाई एक बार पुनः मुख्यमंत्री बने. इस बार वाघेला नहीं थे लेकिन केशु भाई ने एक बार फिर से नरेंद्र मोदी को फिर से  दिल्ली भिजवा दिया. दरअसल केशु भाई नहीं चाहते थे कि मोदी गुजरात में रहकर पार्टी विधायको से मुलाकात करें.

लेकिन 2001 में हालात एकदम से बदले और गुजरात में आए भूकम्प के बाद राजनैतिक दबाव की वजह से केशु भाई को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा देना पड़ा. इस पार्टी में हाशिये पर चल रहे मोदी को भेजा गया. अपना राजनीतिक वनवास खत्म कर गुजरात लौटे नरेन्द्र मोदी को केशु भाई की जगह मुख्यमंत्री बनाया गया. मुख्यमंत्री केशु भाई पटेल के पुराने सलाहकार ने उनका तख्ता पलट कर दिया था.

नरेन्द्र मोदी के सीएम बनने बाद मोदी और केशु भाई के रिश्ते इस तलक बिगड़ गए थे कि साल 2007 के विधानसभा चुनाव में केशुभाई ने खुलकर कांग्रेस को वोट देने की अपील की थी. वहीं दूसरी ओर नरेन्द्र मोदी अपनी रैलियों में केशु भाई को अपना राजनीतिक गुरु बताते रहे.  

गुजरात के मुख्यमंत्री बनने के बाद नरेन्द्र मोदी ने पार्टी में अपने विरोधियो को धीरे - धीरे खत्म कर दिया और राजनीति में सफलता की सीधी चढ़ते रहे. मुख्यमंत्री बनने के बाद मोदी इतने मजबूत हो गए कि गुजरात में कोई उनसे बड़ा नेता नहीं बन पाया. साल 2002 में हुए गोधरा दंगो के बाद पार्टी के दबाव के बावजूद मोदी ने पद नहीं छोड़ा था. गोधरा दंगो के बाद हुए चुनाव में भाजपा को जीत मिली और 2002 में मोदी दोबारा मुख्यमंत्री चुने गए.

लगातार दो बार प्रधानमन्त्री बनने वाले मोदी 20 साल से लगातार संवैधानिक पद पर काबिज है. भाजपा में आज मोदी का विरोधी न के बराबर है. अमित शाह आज भी उनके ख़ास विश्वस्त नेता है. आज की भाजपा में किसी भी नेता का कद नरेन्द्र मोदी के बराबर नहीं है और पार्टी पर पूरी तरह मोदी की पकड़ है. कभी भाजपा के शीर्ष नेता रहे आडवाणी ओर जोशी जैसे नेताओ  को मार्गदर्शक मंडल में भेज दिया गया है.