पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह का निधन, 95 उम्र में ली आख़िरी साँस ; गुरुग्राम के मेदांता में भर्ती थे


पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह का शनिवार रात 10 बजे गुरुग्राम स्तिथ मेदांता अस्पताल में निधन हो गया. वे 95 साल के थे. वे लम्बे समय से बीमार थे. दो सप्ताह पहले उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया था. 

नटवर सिंह का जन्म 16 मई 1929 को राजस्थान के भरतपुर में हुआ था. जानकारी के मुताबिक अंतिम संस्कार 12 अगस्त को दिल्ली में होगा.

नटवर सिंह यूपीए - 1 में मनमोहन सिंह की सरकार में विदेश मंत्री बने. हालाँकि 2005 में " ऑयल फॉर फ़ूड" घोटाले में नाम आने के बाद उन्हें पद छोड़ना पड़ा था. नटवर सिंह कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे. नटवर सिंह एक जमाने में गाँधी परिवार के सबसे करीबी रहे लेकिन विदेश मंत्री का पद छोड़ने पर उनका गाँधी परिवार से विवाद हुआ और उनके रिश्ते बिगड़े गए. साल 2013 में नटवर सिंह ने कांग्रेस छोड़ दी थी.  

नटवर सिंह साल 1953 में भारतीय विदेश सेवा ( IFS ) में भर्ती हुए थे. उन्होंने 31 साल तक राजनयिक के तौर पर काम किया था. इसी दौरान वे पाकिस्तान में भी राजदूत रहे. वे साल 1966 से 1971 तक पीएम इंदिरा गाँधी के कार्यालय से जुड़े रहे थे. उन्हें 1984 में पद्म भूषण से नवाजा गया.

नटवर सिंह 1984 में नौकरी से इस्तीफ़ा देकर कांग्रेस में शामिल हो गए थे. वे राजस्थान के भरतपुर से सांसद रहे. साल 1985-89 तक राजीव गाँधी सरकार में भी राज्य मंत्री रहे. वे विदेश मंत्री के अलावा कोयला और कृषि मंत्री भी रहे.

नटवर सिंह ने साल 1991 में पीएम नरसिह्मा राव से मतभेद के कारण कांग्रेस छोड़ दी और साल 1996 में एनडी तिवारी और अर्जुन सिंह के साथ मिलकर ऑल इंडिया इंदिरा कांग्रेस नाम से नई पार्टी बनाई. बाद में 1998 में सोनिया गाँधी ने कांग्रेस की कमान संभाली तो पुन: कांग्रेस में आ गए. साल 2002 में कांग्रेस ने नटवर सिंह को राज्यसभा भेजा. 

नटवर सिंह राजनयिक और नेता के अलावा लेखक भी थे. उन्होंने कई किताबें लिखी. जिनमें से एक " वन लाइफ इज नॉट इनफ" पर खूब विवाद हुआ. नटवर सिंह ने इस किताब में गाँधी परिवार और कांग्रेस से जुड़े कई खुलासे किए थे. नटवर सिंह ने मीडिया को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि किताब में सोनिया गाँधी से जुड़ी बातों का जिक्र नहीं हो, इसके लिए प्रियंका गाँधी ने घर पर आकर उनसे आग्रह किया था लेकिन नटवर सिंह नहीं माने थे. 

पीएम मोदी ने नटवर सिंह की मौत पर दुःख जताते हुए सोशल मीडिया पर लिखा कि " उन्होंने डिप्लोमेसी और विदेश नीति की दुनिया में अहम योगदान दिया है. वह अपनी बुद्धि के साथ बेहतरीन लेखन के लिए भी जाने जाते थे. उनके परिवार और प्रशंसको के साथ मेरी संवेदनाएँ है.