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सेबी की पूर्व चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच को लोकपाल ने हिंडनबर्ग रिसर्च की ओर से लगाए गए भ्रष्टाचार और हितों के टकराव के आरोपों में क्लीन चिट दी है।
यह मामला अगस्त 2024 में हिंडनबर्ग रिसर्च की एक रिपोर्ट से शुरू हुआ, जिसमें बुच और उनके पति धवल बुच पर अडानी समूह से जुड़े कथित मनी साइफनिंग घोटाले में शामिल ऑफशोर फंड्स में हिस्सेदारी रखने का आरोप लगाया गया था।
अमेरिकी शॉर्ट-सेलर फर्म हिंदनबर्ग रिसर्च ने 10 अगस्त 2024 को एक रिपोर्ट प्रकाशित की, जिसमें दावा किया गया कि सेबी की पूर्व चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच के पास बरमूडा और मॉरीशस स्थित कुछ ऑफशोर फंड्स में निवेश था। इन फंड्स का कथित तौर पर अडानी समूह के शेयरों की कीमतों को बढ़ाने और मनी साइफनिंग में उपयोग किया गया था।
हिंडनबर्ग ने यह भी आरोप लगाया कि सेबी की अडानी समूह की जांच में बुच की भूमिका निष्पक्ष नहीं थी, क्योंकि उनके कथित निवेश से हितों का टकराव उत्पन्न हो सकता था। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि ये निवेश उस समय किए गए थे, जब बुच सेबी में महत्वपूर्ण पद पर थीं (2017 में सेबी की होल-टाइम मेंबर और 2022 में चेयरपर्सन के रूप में)।
हिंडनबर्ग ने दावा किया कि बुच ने अपने निवेश की जानकारी सेबी को पूरी तरह से प्रकट नहीं की थी और अडानी समूह की जांच में खुद को अलग (recuse) नहीं किया, जिससे हितों का टकराव हुआ।
विपक्षी दलों, विशेष रूप से कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की सांसद महुआ मोइत्रा ने इन आरोपों को आधार बनाकर लोकपाल में शिकायत दर्ज की। शिकायतों में यह भी कहा गया कि बुच ने सेबी चेयरपर्सन के रूप में अपने पद का दुरुपयोग किया और अडानी समूह को लाभ पहुंचाने के लिए नियमों में ढील दी।
लोकपाल की जांच और क्लीन चिट :
लोकपाल ने 28 मई 2025 को तीन शिकायतों (जिनमें महुआ मोइत्रा की शिकायत शामिल थी) की जांच के बाद बुच को क्लीन चिट दी। लोकपाल ने अपने आदेश में कहा कि शिकायतें "अनुमानों और मान्यताओं" पर आधारित थीं और इनमें कोई ठोस या सत्यापनीय सबूत नहीं थे। लोकपाल ने यह भी उल्लेख किया कि हिंदनबर्ग की रिपोर्ट अपने आप में कार्रवाई का आधार नहीं बन सकती, क्योंकि यह एक शॉर्ट-सेलर द्वारा अडानी समूह को निशाना बनाने के लिए तैयार की गई थी।
माधबी बुच और उनके पति का जवाब: माधबी और धवल बुच ने हिंदनबर्ग के सभी आरोपों को "झूठा, गलत, दुर्भावनापूर्ण और प्रेरित" बताया। उन्होंने कहा कि उनके सभी निवेशों का खुलासा सेबी को पहले ही किया जा चुका था। उन्होंने यह भी कहा कि हिंदनबर्ग की रिपोर्ट सेबी की विश्वसनीयता पर हमला और उनकी चरित्र हत्या का प्रयास थी।
माधबी पुरी बुच, जो भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) की पूर्व चेयरपर्सन थीं, को हाल ही में लोकपाल ने हिंदनबर्ग रिसर्च की ओर से लगाए गए भ्रष्टाचार और हितों के टकराव के आरोपों में क्लीन चिट दी है। यह मामला अगस्त 2024 में हिंदनबर्ग रिसर्च की एक रिपोर्ट से शुरू हुआ, जिसमें बुच और उनके पति धवल बुच पर अडानी समूह से जुड़े कथित मनी साइफनिंग घोटाले में शामिल ऑफशोर फंड्स में हिस्सेदारी रखने का आरोप लगाया गया था।
आरोप लगाने वाली फर्म बंद
हिंडनबर्ग रिसर्च ने जनवरी 2025 में बंद करने की घोषणा की। इसके फाउंडर नाथन एंडरसन ने कहा कि फर्म ने अपने सभी उद्देश्य पूरे लिए हैं और अब वह निजी जीवन पर ध्यान देना चाहते हैं। उन्होंने इस फैसले के पीछे कोई विशेष खतरा, स्वास्थ्य समस्या या व्यक्तिगत कारण नहीं होने की बात कही, बल्कि काम की तीव्रता और जीवन में संतुलन की इच्छा को इसका कारण बताया।