नेता प्रतिपक्ष जूली के मंदिर दर्शन पर विवाद, बीजेपी के पूर्व विधायक ने उसमें गंगाजल छिड़का ; कहा - मंदिर अशुद्ध हो गया, कॉंग्रेस ने कहा - दलितों का अपमान


राजस्थान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस नेता टीकाराम जूली ने 6 अप्रैल 2025 को राम नवमी के अवसर पर अलवर के एक राम मंदिर में आयोजित प्राण प्रतिष्ठा समारोह में भाग लिया। टीकाराम जूली दलित समुदाय से आते हैं, जूली इस मौके पर मंदिर में दर्शन किए और पूजा-अर्चना में शामिल हुए। अगले दिन, 7 अप्रैल 2025 को बीजेपी के पूर्व विधायक ज्ञानदेव आहूजा ने उसी मंदिर में गंगाजल छिड़ककर इसे "शुद्ध" करने का कार्य किया। आहूजा का दावा था कि जूली के मंदिर में प्रवेश से वह अशुद्ध हो गया, क्योंकि वे उन्हें "हिंदुत्व विरोधी" और "सनातन विरोधी" मानते हैं।

टीकाराम जूली ने इसे बीजेपी की "दलित विरोधी मानसिकता" का प्रमाण बताते हुए कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा कि यह उनके व्यक्तिगत विश्वास पर हमला है और अस्पृश्यता जैसे अपराध को बढ़ावा देने वाला कृत्य है। जूली ने सवाल उठाया कि क्या बीजेपी दलितों से इतनी नफरत करती है कि उन्हें पूजा करने से भी रोका जाता है, और क्या भगवान केवल बीजेपी नेताओं की संपत्ति हैं।

कांग्रेस ने इस घटना के खिलाफ पूरे राज्य में विरोध प्रदर्शन की घोषणा की, जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा जैसे नेताओं ने आहूजा के कृत्य को "घृणित" और "संकीर्ण मानसिकता" का प्रतीक बताया। गहलोत ने बीजेपी से पूछा कि क्या मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष इस व्यवहार का समर्थन करते हैं।

दूसरी ओर, आहूजा ने अपने कार्य का बचाव करते हुए कहा कि उनका इरादा किसी जाति विशेष के खिलाफ नहीं था, बल्कि वे जूली के कथित "हिंदुत्व विरोधी" रुख के खिलाफ थे। उन्होंने अपने बयान में यह भी दोहराया कि वे मंदिर को शुद्ध करने के अपने संकल्प को पूरा कर रहे थे। हालांकि, बीजेपी के कुछ स्थानीय नेताओं ने इसे Ahuja का निजी विचार बताकर पार्टी से दूरी बनाने की कोशिश की।

इस घटना ने राजस्थान में जातिगत भेदभाव और धार्मिक पहुँच को लेकर बहस छेड़ दी है। कांग्रेस ने इसे बीजेपी की दलित विरोधी नीतियों के सबूत के रूप में पेश किया, जबकि Ahuja के समर्थकों ने इसे हिंदुत्व की रक्षा के तौर पर देखा। यह विवाद राजनीतिक और सामाजिक दोनों स्तरों पर गहरा असर डाल सकता है, खासकर राजस्थान में, जहाँ दलित आबादी करीब 17% है और 34 विधानसभा सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं।