भारत अमेरिका पर जवाबी टैरिफ लगाएगा, WTO के मुताबिक 7.6 बिलियन डॉलियर्स के आयात को प्रभावित करेंगे


भारत ने विश्व व्यापार संगठन (WTO) को 9 मई 2025 को अधिसूचित किया कि वह अमेरिका द्वारा स्टील और एल्यूमीनियम पर लगाए गए अतिरिक्त शुल्कों के जवाब में चुनिंदा अमेरिकी उत्पादों पर जवाबी टैरिफ लगाने की योजना बना रहा है। यह कदम अमेरिका के 10 फरवरी 2025 के राष्ट्रपति उद्घोषणा के जवाब में है, जिसने 12 मार्च 2025 से स्टील और एल्यूमीनियम आयात पर 25% शुल्क लागू किया, बिना किसी देश-विशिष्ट छूट के। भारत का मानना है कि ये शुल्क WTO के सामान्य टैरिफ और व्यापार समझौते (GATT 1994) और सेफगार्ड्स समझौते (AoS) का उल्लंघन करते हैं, क्योंकि अमेरिका ने इन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर लागू किया, लेकिन WTO को इसकी अधिसूचना नहीं दी और न ही अनिवार्य परामर्श किए।

अमेरिकी शुल्क भारत से 7.6 बिलियन डॉलियर्स के आयात को प्रभावित करेंगे, जिससे 1.91 बिलियन डॉलियर्स का अतिरिक्त शुल्क संग्रह होगा। भारत इसके जवाब में अमेरिकी उत्पादों पर समान मूल्य का शुल्क लगाएगा। भारत चुनिंदा अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ बढ़ाएगा, हालांकि विशिष्ट उत्पादों की सूची अभी सार्वजनिक नहीं की गई है। पहले (2019 में) भारत ने बादाम, सेब, दाल, और रासायनिक उत्पादों जैसे 28 अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ लगाया था।

भारत ने 30 दिन की अधिसूचना अवधि (9 मई 2025 से) के बाद, यानी जून 2025 की शुरुआत में टैरिफ लागू करने का अधिकार सुरक्षित रखा है। भारत उत्पादों और शुल्क दरों को समायोजित करने का अधिकार भी रखता है। भारत ने WTO के ट्रेड इन गुड्स काउंसिल और सेफगार्ड्स कमेटी को अगले कदमों की जानकारी देने की बात कही है।

2018 में, अमेरिका ने भारत के स्टील और एल्यूमीनियम पर 25% और 10% शुल्क लगाया था, जिसके जवाब में भारत ने जून 2019 में 28 अमेरिकी उत्पादों पर 240 मिलियन डॉलियर्स के जवाबी टैरिफ लगाए थे। ये शुल्क सितंबर 2023 में पीएम मोदी की अमेरिका यात्रा के बाद हटा लिए गए थे, जब दोनों देशों ने छह WTO विवादों को सुलझाने पर सहमति जताई थी।

अमेरिका ने 2025 में फिर से शुल्क बढ़ाए, जिसे भारत ने सेफगार्ड उपाय माना। अप्रैल 2025 में भारत ने अमेरिका से परामर्श की मांग की थी, लेकिन अमेरिका ने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा बताकर बातचीत से इनकार कर दिया। भारत और अमेरिका एक व्यापक मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर बातचीत कर रहे हैं। ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) के अनुसार, जवाबी टैरिफ से इन वार्ताओं पर "छाया पड़ सकती है।"

GTRI के संस्थापक अजय श्रीवास्तव के अनुसार, भारत का यह रुख 'मेक इन इंडिया' पहल के लिए महत्वपूर्ण स्टील और एल्यूमीनियम क्षेत्रों में उसकी मजबूत स्थिति को दर्शाता है। यदि अमेरिका परामर्श के लिए सहमत होता है या शुल्क हटाता है, तो विवाद सुलझ सकता है। अभी तक अमेरिका ने भारत के इस कदम पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। हालांकि, अप्रैल 2025 में अमेरिका ने भारत के परामर्श अनुरोध को ठुकरा दिया था।

भारत के जवाबी टैरिफ से अमेरिकी निर्यातकों को नुकसान हो सकता है, खासकर उन क्षेत्रों में जो भारत के मजबूत बाजार पर निर्भर हैं। भारत ने पहले अमेरिकी बादाम (543 मिलियन डॉलियर्स) और सेब (156 मिलियन डॉलियर्स) जैसे उत्पादों को निशाना बनाया था।

भारत का यह कदम WTO नियमों के तहत उसका वैधानिक अधिकार है, लेकिन यह अमेरिका के साथ चल रही व्यापार वार्ताओं को जटिल बना सकता है। 2019 के अनुभव से पता चलता है कि भारत जवाबी टैरिफ से घरेलू किसानों और उद्योगों को लाभ पहुंचा सकता है, लेकिन यह वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं और द्विपक्षीय व्यापार को प्रभावित कर सकता है। भारत की रणनीति में लचीलापन दिखता है, क्योंकि उसने टैरिफ लागू करने से पहले 30 दिन की अवधि दी है, जिससे बातचीत की गुंजाइश बनी हुई है।

भारत का जवाबी टैरिफ लगाने का फैसला अमेरिका के स्टील और एल्यूमीनियम शुल्कों के खिलाफ एक रणनीतिक कदम है, जो WTO नियमों के तहत उसका अधिकार है। यह कदम भारत की आर्थिक संप्रभुता और 'मेक इन इंडिया' को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है, लेकिन व्यापार वार्ताओं और वैश्विक व्यापार गतिशीलता पर इसका प्रभाव इस बात पर निर्भर करेगा कि अमेरिका अगले 30 दिनों में कैसी प्रतिक्रिया देता है