भारत की बानू मुश्ताक को \'हार्ट लैंप\' के लिए अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार मिला, कन्नड भाषा की पहली कृति ; दीपा भास्थी ने किया अंग्रेजी में अनुवाद


भारतीय लेखिका बानू मुश्ताक को लघु कथा संग्रह 'हार्ट लैंप' के लिए अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार 2025 मिला है। यह पहली बार है जब कन्नड़ भाषा में लिखी गई किसी कृति को यह प्रतिष्ठित पुरस्कार मिला है। इस किताब का कन्नड़ से अंग्रेजी में अनुवाद दीपा भास्थी ने किया है।

'हार्ट लैंप' में 1990 से 2023 के बीच लिखी गई 12 लघु कथाएँ शामिल हैं, जो दक्षिण भारत में मुस्लिम महिलाओं के जीवन, उनकी चुनौतियों, और पितृसत्तात्मक समाज व धार्मिक रूढ़ियों के बीच उनकी संघर्षपूर्ण यात्रा को मार्मिक ढंग से चित्रित करती हैं। इस संग्रह को समीक्षकों ने हाशिए पर रहने वाले लोगों की कहानियों को भावनात्मक और नैतिक गहराई के साथ प्रस्तुत करने के लिए सराहा है।

बानू मुश्ताक ने 77 साल की उम्र में यह उपलब्धि हासिल की और वह पहली कन्नड़ लेखिका बन गईं जिन्हें यह सम्मान मिला। इससे पहले 2022 में गीतांजलि श्री को  'रेत समाधि' (टॉम्ब ऑफ सैंड) के लिए यह पुरस्कार मिला था, जो हिंदी भाषा की पहली कृति थी।

बानू ने पुरस्कार प्राप्त करते हुए कहा, "यह किताब इस विश्वास से जन्मी कि कोई भी कहानी छोटी नहीं होती।